पृष्ठ
मुखपृष्ठ
गाँव
पोस्टर
अन्य कवियों की रचनाएं
रत्नाकर के चित्र
प्रकाशन
विशेष
भूले विसरे गीत
आलेख
सोमवार, 26 दिसंबर 2022
आपने नंगे बहुत देखे होंगे
आपने नंगे
बहुत देखे होंगे
पर व्यवस्था
नंगी हो जाए तो
क्या आप
अंदाजा लगा सकते हैं
कि खतरे
कितने बढ़ जाते हैं
आज आपको
नहीं लगता कि
हम उसी तरह के
खतरनाक दौर से
गुजर रहे हैं।
हो सकता है
आपको आनंद
आ रहा हो।
पर कब तक ?
विचार करिए?
- डॉ लाल रत्नाकर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें