शनिवार, 14 अक्तूबर 2023

न जाने क्यों उन्हें मेरी कला से सख़्त नफ़रत है, न जाने क्यों .......

 


न जाने क्यों उन्हें मेरी कला से 
सख़्त नफ़रत है, न जाने क्यों .......   
मोहब्बत की शहादत उन्हें चहिए!
जो जीने के लिए जरूरी है।
मोहब्बत यदि कहीं बिकती हो तो !
किसी भी रूप में क्यों ना हो !
बतला दो ! लाएँगे हम भी वहॉ से !
खरीद कर मतलब के लिए उनके ! 
अब तो जमाने का कहर देखो!
शहर आओ गौर से देखो !
यहां बिकने लगी है इज़्ज़त !
मोहब्बत कैसे होगी इसकी
नहीं चिंता उनको ?
सजाने में लगे हैं हम बहुत कुछ उसमें !
जो नफरत की सोच तो रखते हैं।
पर विश्वगुरु बनने की चाहत रखते हैं।
उन्हें मोहब्बत के आडंबर का क्या करना!
उन्हें अपराध के सारे हथकंडे साथ लेकर!
यही सीखा है उसने पाखंड पढ़कर।
जो नए स्कूल खोले गए हैं,
पुरानी पद्धतियों के ऊपर।
जहां अवसर नहीं होगा बहुजन को।
स्त्रियां जा नहीं पाएंगी विकास की डगर पर।
उन्हें संसद में लाने की!
नई जो नीति आई है!
वहां यह क्या करेगी इस पर ?
कौन सवाल उठाऐगा !
डॉ लाल रत्नाकर






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