शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023

बहुत हुई अब जुमले बाजी।

बहुत हुई अब जुमले बाजी।
बात करें अब कामकाज की।
सदियों सदियों का पाखंड।
नऐ कलेवर में आया है।
भक्तजनों की अंधभक्ति ने,
जनमानस को छलने खातिर!
विविध रूप का वेश धरा है।
अगवा करने वाला भी !
अब भगवा पहन पहन के।
गायों को छुट्टा छोड़ दिया।
इंसानों को जो बांध दिया है।
बुलडोजर का भय दिखलाकर।
हौसला ही सबका तोड़ दिया है।
लाठी डंडा कंकड़ पत्थर।
व्यवस्था पर प्रहार का था सिम्बल ।
जनता का सबसे माकूल हथियार रहा है।
अब उसके बदले मोबाइल पर।
व्हाट्सएप के हुए गुलाम सब।
ट्विटर ट्विटर कर कर के।
जब नेताजी हो गए बेहाल।
आओ हम सब मिलकर के,
वैज्ञानिक उपचार पर करें विचार।
बहुत हुई अब जुमले बाजी।
बात करें अब कामकाज की।

डॉ लाल रत्नाकर

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