दोस्त दुश्मन
फर्क क्या है
दोनों में
व्यक्तित्व का ही तो
फरिस्ता थोड़े है
जो महफूज़ होते हैं
या खुदा तुमसे।
खंजर कहाँ कहां है
छुपा रक्खे हो भोले
नस्ल किसकी हो!
फितरत कैसी है
कोई फलसफा थोड़े है
इनकी उनकी छोडो !
जो नसीहत दे
और साथ न दे
अगर ये ध्यान हो
वह कौन है !
दोस्त या दुश्मन।
-डॉ लाल रत्नाकर
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