जो व्यवस्था आपको
लंगड़ा बना दे, पैर काटकर
अपाहिज बना दे।
पर काटकर उड़ना रोक दे
भूखे कुत्तों के सामने
बेखौफ छोड़ दे चूसने के लिए
आपको कैसे अच्छी लगती है
जैसे उनको अच्छी लगती है
जिनके पीछे-पीछे आप
अंधभक्त बनकर लगे हुए हो।
कोई तो स्वार्थ होगा
या नि:स्वार्थ लगे हुए हो.
पता तो होगा या नहीं ?
पता है सच और झूठ का
भेद करना भी तो मुश्किल है।
वतन की बात करते हैं।
अपना मन नहीं देखते
अपना तन नहीं देखते
जो खरोचों से भरा पड़ा है,
सिंह के खूंखार पंजों के नहीं
इसी समाज में नफरत और जहर
फैलाने के हजारों हजार मशले
जिन पर न्याय नहीं होता।
- डॉ.लाल रत्नाकर
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