मंगलवार, 3 सितंबर 2024

विकास का विनाश से


विकास का विनाश से
बहुत बड़ा रिश्ता है 
मुफ्तखोरी का ताना-बाना 
बनाता मवाली है।
जब टेट खाली है, 
शराबी सवाली है,
आदत से मजबूर और
भेजे से भी खाली है।
बात बेहतर हो यह ख्वाब से
तय नहीं होता होता है
कौशल से और हौसले से
कागजों में हेरा फेरी 
खूब कर लो आज पर
कल जवाब देह बनोगे
तब तक तय नहीं होता।
बेईमान कौन है।
ऐसे कितने लाभार्थी हैं।
जो भक्ति में पेय के।
कुछ भी करते है।
रात दिन मरते है।
भ्रम में पड़े पड़े।
वह जो कुछ भी करते हैं।
भला उससे क्या होता है।

-डॉ लाल रत्नाकर

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