गुरुवार, 30 जनवरी 2025

धर्म के रूप में आमजन को स्वीकार है




















 धर्म !
यह कैसा धर्म है 
जो मृत्यु को भी 
धर्म के रूप में 
आमजन को स्वीकार है 
भीड़ से भिड़ाकर
आमजन को रौंदकर 
कुचल डालता है। 
यह आपदा में अवसर है 
या अवसर की आपदा है 
यह सत्ता का व्यापार है 
व्यापार का बाजार है 
फिर धर्म कैसे 
शर्म किसको हत्या का 
कौन जिम्मेदार है 
धर्म के अत्याचार का 
हिंदू होने का प्रमाण 
बांटने का इस परम्परा से 
क्या सरोकार है। 
यह कैसा व्यापार है।
धर्म का अत्याचार है। 

-डॉ लाल रत्नाकर 

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