शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025

विश्वगुरु के शिष्य लौट रहे है

 



















विश्वगुरु 
के शिष्य लौट रहे है
आत्म निर्भर भारत में।
मगर बेड़ियां डालकर।
यहां गुजर बशर के लिए।

आईए यहां भण्डारा
चालू है,
प्रसाद में पांच किलो अन्न!
कुंभ में भी आमंत्रित हैं।
पूरी की पूरी दुनिया से।

इलाहाबाद आना था,
पर गुजरात क्यों भेज दिए।
वाह गुजरात माडल!
वाह वाह!

अभी इस्लामिक मुल्कों से 
विश्वगुरूओ‌ की वापसी होनी है।
धार्मिक आस्था और चमत्कार 
के विश्वविद्यालयों में।
नये भारत के प्रांगण में।

अब नया भारत बन रहा है, 
अमृत काल चल रहा है। 
रोजगार की क्या जरूरत है, 
संविधान 
नहीं मनुवाद चल रहा है।
बहुजनों को एनएफयस कर रहा है।

- डॉ लाल रत्नाकर

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