विश्वगुरु
के शिष्य लौट रहे है
आत्म निर्भर भारत में।
मगर बेड़ियां डालकर।
यहां गुजर बशर के लिए।
के शिष्य लौट रहे है
आत्म निर्भर भारत में।
मगर बेड़ियां डालकर।
यहां गुजर बशर के लिए।
आईए यहां भण्डारा
चालू है,
प्रसाद में पांच किलो अन्न!
कुंभ में भी आमंत्रित हैं।
पूरी की पूरी दुनिया से।
इलाहाबाद आना था,
पर गुजरात क्यों भेज दिए।
वाह गुजरात माडल!
वाह वाह!
अभी इस्लामिक मुल्कों से
विश्वगुरूओ की वापसी होनी है।
धार्मिक आस्था और चमत्कार
के विश्वविद्यालयों में।
नये भारत के प्रांगण में।
अब नया भारत बन रहा है,
अमृत काल चल रहा है।
रोजगार की क्या जरूरत है,
संविधान
नहीं मनुवाद चल रहा है।
बहुजनों को एनएफयस कर रहा है।
- डॉ लाल रत्नाकर
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