कौन कहता है
होली रंगों का त्यौहार है।
रंग तो इसलिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
क्योंकि मन के अंदर जो जहर है।
वह इन रंगों से छुप जाए।
रंग ऐसा भी क्या जो लगे और पानी के संग बह जाए।
कौन कहता है।
दिवाली में उजाले होते हैं।
क्या बताने की जरूरत है।
कितने कारनामे लाल और काले होते हैं।
बहुत सारे पर्व हैं।
जो आम आदमी की जिंदगी में।
प्रतीक है खुशहाली के।
कारण है बदहाली के।
धर्म और रंग का बहुत गहरा संबंध है।
लाल देखकर व्यक्तित्व की असलियत छुप जाती है।
हरा देखकर नफरत फैल जाती है।
पीत की पवित्रता
और श्वेत की सत्यता
कहां गुम हो जाती है।
जिनको कालिख लगानी चाहिए।
वह चंदन लगा लेते हैं।
अपराध करते हैं और वंदन करा लेते हैं।
कौन कहता है रंग
रंग होते हैं।
होली रंगों का त्यौहार है।
होली रंगों का त्यौहार है।
रंग तो इसलिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
क्योंकि मन के अंदर जो जहर है।
वह इन रंगों से छुप जाए।
रंग ऐसा भी क्या जो लगे और पानी के संग बह जाए।
कौन कहता है।
दिवाली में उजाले होते हैं।
क्या बताने की जरूरत है।
कितने कारनामे लाल और काले होते हैं।
बहुत सारे पर्व हैं।
जो आम आदमी की जिंदगी में।
प्रतीक है खुशहाली के।
कारण है बदहाली के।
धर्म और रंग का बहुत गहरा संबंध है।
लाल देखकर व्यक्तित्व की असलियत छुप जाती है।
हरा देखकर नफरत फैल जाती है।
पीत की पवित्रता
और श्वेत की सत्यता
कहां गुम हो जाती है।
जिनको कालिख लगानी चाहिए।
वह चंदन लगा लेते हैं।
अपराध करते हैं और वंदन करा लेते हैं।
कौन कहता है रंग
रंग होते हैं।
होली रंगों का त्यौहार है।
डॉ.लाल रत्नाकर
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