याद स्मृतियों में रहती है
रोज़ रोज़ पूजकर
अपराध करने से नहीं !
स्मृतियों के इतिहास
वास्तविक होते हैं ।
मूर्तियों और किताबों में
झूठ का इस्तेमाल होता है ।
इसलिए इतिहास पुनर्लेखन
की बात करते हैं ।
जिन्हें केवल अपना
हित दिखता है।
इतिहास तथ्यों पर आधारित होता है।
गढ़ा नहीं जाता
मढ़ा नहीं जाता।
रोज़ रोज़ पूजकर
अपराध करने से नहीं !
स्मृतियों के इतिहास
वास्तविक होते हैं ।
मूर्तियों और किताबों में
झूठ का इस्तेमाल होता है ।
इसलिए इतिहास पुनर्लेखन
की बात करते हैं ।
जिन्हें केवल अपना
हित दिखता है।
इतिहास तथ्यों पर आधारित होता है।
गढ़ा नहीं जाता
मढ़ा नहीं जाता।
-डॉ लाल रत्नाकर

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