जुल्म तो हारता ही है !
यह बात जुल्मी भी जानता है !
लेकिन यह हद ही हो गयी कि
नफ़रती मानसिकता वाले
सत्ताधारी पार्टी के लोग
कितने जालिम अमानवीय भी हैं !
बदले की भावना से ही नहीं बल्कि!
साम्प्रदायिकता की भावना से
उत्तर प्रदेश और सपा के क़द्दावर
नेता को बर्बरता की हद तक !
प्रताड़ित करने वाली मानसिकता
से किये गए अत्याचार उत्पीड़न
का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा है ।
आज़म साहब ज़िंदादिल इंसान हैं ।
उनकी यह यातना और बदनामी
इस बर्बर युग की ऐतिहासिक दास्ताँ है !
-डॉ लाल रत्नाकर
(नोट : श्री आजमखान साहब समाजवादी पार्टी के लीडर के साथ उत्तर प्रदेश सरकार के कई बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं। इन सबसे अलग वह लोकसभा के बेबाक संसद सदस्य रामपुर उप (सपा) के रहे हैं। ईमानदार और नेकदिल इतने की आमलोगों में उनकी लोकप्रियता की कोई मिशाल ही नहीं।
लेकिन मुश्लिम विरोधी मानसिकता की केंद्र और प्रदेश की सरकार ने उस व्यक्ति को तहस नहस करने की सामंती अलोकतांत्रिक नीतियों से वर्वाद करने की कोई योजना बाकी नहीं छोड़ी बस ह्त्या ही नहीं कराई और क्या नहीं किया बुलडोज़र से उनके विश्वविद्यालय लिब्रेरी स्कूल कालेज घर क्या नहीं तोड़ा उनके लिए यह गीत )
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