जो अपने साथ नहीं है
वह उनका साथ !
छोड़ने की बात कर रहे हैं।
जो सदियों से उनके साथ खड़े हैं
जिनको जोड़ने की बात कर रहे हैं
हम उनके दुश्मन बने हुए हैं।
जो धर्म के नाम पर
अधर्म की बात कर रहे हैं ।
जिस धर्म में हैं
उनका धर्म नहीं है
उस धर्म के यह बंधुआ हैं ।
जिनका कोई स्वाभिमान नहीं है
हां यह इंसान नहीं है
वहां यह भगवान ढूंढ रहे हैं।
जो अपनों के साथ नहीं है
सपनों की बात कर रहे हैं।
इन अज्ञानियों की वजह से।
हजारों साल से मानवता गुलाम है।
जहां इंसान-इंसान नहीं है।
वहां इनका कोई भगवान है।
भगवान इन्हें जानता नहीं है।
मानता नहीं है।
यह उसी के भरोसे
मानवता का विरोध कर रहे हैं
दानवों का समर्थन।
जो अपनों के नहीं हैं
वह अपने दुश्मनों को
जोड़ने की बात कर रहे हैं।
-डॉ लाल रत्नाकर

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