सोमवार, 17 नवंबर 2025

हम क्यों गीत गाएँ

 


हम क्यों गीत गाएँ
विचारों की,
हत्या करें और गीत गाए।
तुम्हारी महफ़िल में
दरिंदे बहुत हैं ।
हत्यारों के उत्सव में 
'शोकगीत' गीत गाएँ।
लोकगीत गाऐं!
बिरह गीत गाऐं।
बीररस सुनाएं।
मन को समझाएं।
बहुत कष्ट उठाएं। 
यह किसको बताएं ,
किससे छुपाएं।
नफरत के मोहल्ले में 
कैसे उल्लास मनाएं।
कैसे दिल को बहलाएं। 
रचें या रचाऐंं।
क्या-क्या छुपाएं। 
क्या-क्या दिखाएं।

-डॉ लाल रत्नाकर

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