गुरुवार, 11 दिसंबर 2025

लोग चले जाते हैं। रह जाता है उनका कृत्य।


लोग चले जाते हैं।
रह जाता है उनका कृत्य।
जब वह होते हैं 
तब समझ में नहीं आता। 
वह क्यों है। 
उनकी जरूरत क्या है?
जो समझ में आते हैं। 
जब वह चले जाते हैं। 
तब समझ में आता है। 
वह क्यों थे? 
उनकी जरूरत क्या थी। 
क्यों कर रहे थे वह दुष्कर्म।
जिन्हें हम याद करते हैं। 
सदियों सदियों युगों युगों। 
नहीं मानते उनकी बात। 
करते रहते हैं रात दिन खुरापात।
बकवास, लुच्चों का स्वागत।
टुच्चों का साथ।
मिला रहे होते हैं! 
हर उससे हाथ।
जो हाथ गंदे हैं। 
सने हुए हैं अपराध में। 
अपनों के सपनों के खिलाफ। 
झूठी वाहवाहियों में।
घूम रहे होते हैं दिन रात। 
हमें याद नहीं आते। 
जब वह हमें बता रहे होते हैं। 
हमारे विकास के मार्ग। 
वह बहुत याद आते हैं। 
जो ले जा रहे होते हैं। 
विनाश के मार्ग पर। 
हम क्यों नहीं पहचान पाते।
उनके कलुषित विचार।
हजारों हजार साल से। 
--डॉ लाल रत्नाकर

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