मजहब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना।
यह गुलसिता हमारा,
यह वतन हमारा!
एस आई आर ?
नफरत का जहर है डाला।
जातियों के आधार पर।
मतदाता बना रहा।
ऐसा बीएलओ ही बता रहा।
वह इस दबाव को सह नहीं पा रहा।
दबाव में ही वह जान गवा रहा है।
एस आई आर के चक्कर में।
मौतों का मरघट
चुनाव आयोग बना रहा है।
यह कैसी चालाकी है।
क्या देश में दुश्मन बाकी है।
डॉ लाल रत्नाकर

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