बात इतनी सी ही है,
जो समझ आ जाए तो।
तब बात बन जाएगी,
यदि बिगड़ जाए तो!
बात कितनी भी बड़ी हो !
यदि समझ ना आए तो।
वह तो यही चाहते हैं।
वो जो बेईमानी कर रहे हैं।
जो हम कह रहे हैं।
वह नहीं चाहते वह,
जो जो सच कह रहे हैं।
उनको दुश्मन लग रहे हैं।
जिनका हक मारना,
बन गया धर्म है उनका !
बात कैसे बनेगी ?
अब तो समझ जाइए।
बात इतनी सी है ।
जो समझ आ जाए तो।
समय रहते बात बन जाये।
-डा.लाल रत्नाकर

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