जब कहीं मूर्खों की जमात
इकट्ठा हो जाए तो !
उसे एक नाम दिया जाता है!
जो सहजतयॉ स्वीकार्य ही नहीं होता॥
बल्कि उस पर वह थिरक रहे होते हैं।
क्योंकि व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी
अपने पाठ्यक्रम में!
ऐसे-ऐसे कोर्स शामिल करती है !
जिसे केवल फॉरवर्ड करना होता है॥
जैसे आज कल के प्रकाशन ?
परीक्षा उत्तीर्ण करने के बुकलेट तैयार करते हैं?
मूर्खों की जमात तैयार करने के लिए !
क्योंकि अब पढ़ने की ज़रूरत नहीं रही !
इसलिए पढ़ने की ज़रूरत नहीं रही !
जिसे फॉरवर्ड करने से पहले पढ़ लिए जाते !
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के संदेश !
काश हमारी समझ ?
नासमझी में न बदल गयी होती !
जब कहीं मूर्खों की जमात
इकट्ठा हो जाए तो !
-डॉ लाल रत्नाकर

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