सोमवार, 15 मार्च 2021

शराबी बेवड़े रात भर गलाफाडु प्रलाप कर रहे हैं

 

पूरी रात्रि भर रह रह कर जागरण के बाद प्रातः काल यह बाचक रो रहे थे ऐसे द्रवित हो रहे थे जैसे कृष्ण और राम का अंत हो रहा हो और वे दुखी हो रहे हो या उनके दुख का कारण और रहा होगा। पता नहीं लेकिन जिस तरह से दो दो तरफ से या यूं कहिए दोनों तरफ से मरी हुई आवाज में हरे कृष्णा हरे रामा का उद्घोष भाई सुनाई पड़ रहा है ऐसा लगता है कि जैसे कोई बड़ी विपत्ति आ गई हो।

 
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अखण्ड पाखण्ड का पाठ
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हमारे गांव के समीप
कहीं पर अखंड पाखंड का
पाठ हो रहा है
ध्वनि विस्तारक यंत्र
के माध्यम से
आवाज कानों तक
आ रही है ।
कुछ पड़ोसियों ने
बताया की यादवों ने
नदी के किनारे
कोई मंदिर बनाया है
जिस पर यह
अखंड पाठ कराया जा रहा है।
आमतौर पर
जिस तरह से
ध्वनि विस्तारक यंत्र
बार-बार ध्यान
अपनी ओर खींच रहा है
उसमें जो कुछ
सुनाई पड़ रहा है
वह परंपरागत
प्रचलित ग्रंथों का
स-स्वर पाठ है।
हमने
अपने आसपास
लंबे समय से लोगों को
अच्छा साहित्य
पढ़ते नहीं देखा है
जिसमें
इन पाखंडों के खिलाफ
विस्तार से लिखा गया है।
ऐसा नहीं है कि
उनके पास
इस तरह का साहित्य
नहीं है और ना ही
ऐसा है कि वह
अब इन चीजों को
ढूंढ करके पढ़ ना सकें।
पर वो
महात्मा बुद्ध
रामास्वामी पेरियार
ज्योतिबा फुले सावित्रीबाई फुले
डॉ भीमराव अंबेडकर
ललई सिंह यादव
और रामस्वरूप वर्मा
के साहित्य को
पढ़ने से
इस समाज की आंखें
थोड़ा बहुत खुल सकती हैं।
परंतु इस तरफ
अभी किसी का भी
ध्यान नहीं जा रहा है
यही सबसे बड़ी
विडंबना है।
रामायण विषवृक्ष है।
और महाभारत ?
कुछ अज्ञानी
शराबी बेवड़े
रात भर गलाफाडु
प्रलाप कर रहे हैं
कुत्ते चिल्ला चिल्लाकर
उनका
प्रतिकार तो कर रहे हैं।
पर मनुष्य सोया हुआ है।
 
-डॉ. लाल रत्नाकर

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