शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

अमीं रवींद्रनाथ टैगोर



 अमीं
रवींद्रनाथ टैगोर
नोबेल पुरस्कार विजेता
साहित्य संगीत कला के प्रणेता
की जगह और कौन लेता
मैं हूं आधुनिक भारत का।
अज्ञान और अंधकार का
चमत्कार के विज्ञान का
विनाश को विकास का
इस युग का बहुत बड़ा प्रनेता!
अज्ञान से अंधकार की ओर
मूर्खता से पाखंड की ओर
जन-जन को जुमलों से।
राष्ट्रवाद पढ़ाता।
संघ का गीत गाता।
भारत को हूं मिटाता।
नोबेल पुरस्कार की जरूरत नहीं
मैं नया पुरस्कार बनाता।
भारत विश्व गुरु बनेगा।
विश्व गुरु का गुरु मैं बनूंगा।
सबसे कठिन सवाल मेरे सामने है।
इसलिए विद्यार्थियों को हमने।
परीक्षा में सबसे पहले।
कठिन सवाल हल करने की राय दी है।
यह काम!
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने नहीं किया।
साहित्य कला संगीत का,
जितना सत्यानाश मैंने किया है!
यह काम भी उस गुरुदेव ने नहीं किया।
मैं देश को विश्व गुरु बनाने में लगा हूं।
स्कूल कॉलेज विश्वविद्यालय
सब बंद करा करके।
बंगाल को बदलकर गुजरात बनाने में लगा हूं।
बंग भाषा की जगह।
भक्त भाषा लगाने में लगा हूं।
शरीर में जहां जहां से भी
सफेद बाल निकलते हैं
उन्हें बढ़ाने में लगा हूं।
आजकल बंगालियों को
भरमाने में लगा हूं।
डॉ लाल रत्नाकर

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