मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

जो विश्वसनीय नहीं है।

 


जिस देश का प्रधान !
झूठे नारे गढ़ता हो
अवैज्ञानिक बातें करता हो
पाखंड को जनता पर थोपता हो।
संविधान की जगह
मनुस्मृति से चलता हो
ऐसे ही प्रधानमंत्री का
लोकतंत्र में विश्वास कितना होगा
यह विश्वसनीय नहीं है
जो विश्वसनीय नहीं है।
उसका संविधान में क्या रोल है।
संविधान हमारे लिए
बहुत सारे अधिकार देता है।
जबकि मनुस्मृति जाति वर्ग
के अनुसार व्यवस्था देती है।
आधुनिक युग में।
जब पूरी दुनिया विकास कर रही है।
हमारे देश को विनाश के गर्त में
डाल देने वाले जुमलेबाज।
जनता का गुलाम कहने वाले।
चौकीदार बनने वाले।
कान पकड़कर चौराहे पर
चार जूता मारने का वादा वाले।
ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनने का
देश को बर्बाद करने का।
अधिकार संविधान नहीं देता।
मनुस्मृति में इस तरह का
तहस-नहस करने का।
अधिकार देता है।
जिसके अनुसार आज !
देश को बर्बाद करने का।
इतना बड़ा बीड़ा उठाया हुआ है।
चिंतामग्न जनता मौन है।
राजनीतिक दल डरे हुए हैं।
विपक्षी मरे हुए हैं।
कौन आएगा जो
इस व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का।
जनता के सामने प्रस्ताव करेगा।
मोलभाव नहीं सीधे हमला करेगा।
देश के किसानों!
देश के मजदूरों।
देश के कर्मचारियों।
देश के भ्रष्टाचारियों।
यह देश आपका है।
आइए एकजुट होकर।
आदम के हत्यारे को।
दौड़ा-दौड़ा कर उसके ।
कारनामे उजागर करते हुए।
बंगाल की खाड़ी में फेंक दीजिए।
या कश्मीर की वादियों में।
या ऐसी आबादी में।
जहां भक्त ना हो फेंक दीजिए।
वह हिसाब कर देंगे।
मौत के सौदागर का।
डॉ लाल रत्नाकर

कोई टिप्पणी नहीं: