रविवार, 27 जून 2021

यह वक्त कितना निर्मम है

 


यह वक्त कितना निर्मम है
जिसका भी जितना दम है
क्रूरता में कितना कम है
अब यह कौन तय करेगा,
क़ातिल ही जब जज है।
अन्याय को समझने का
उसका नजरिया बदला है।
न्याय उसके पक्ष में हो तो
न्याय है अन्यथा अन्याय है।
यह कब तक चलेगा ?
सवाल किससे करें कौन है
जो बचे हैं वह महान व्यक्ति
से स्वयं महान हैं कौन कहे।
क्यों कहें, मत कहिए, मत,
कहने की आदत नहीं है न।
सच!
यही तो चाहता है वह जो है।
उसके मन में, उनके लिए।
उनके मन में जो भी रहा हो,
हमारे लिए कौन कहे और क्यों !
कौन तय करेगा ? वक्त ?
डॉ लाल रत्नाकर

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