आपने भेजा
शहंशाह जैसा
अहंकार का स्वरूप
अहंकारी व्यक्ति
जिसके गुण धर्म
स्वभाव में
मनु के मनुस्मृति का
चलन आ गया हो
संविधान की जगह
समकालीन सत्ता के
अंग अंग में ।
और आज जनता भी
अंधी हो गयी है।
उसी रंग ढंग में।
शहंशाह जैसा
अहंकार का स्वरूप
अहंकारी व्यक्ति
जिसके गुण धर्म
स्वभाव में
मनु के मनुस्मृति का
चलन आ गया हो
संविधान की जगह
समकालीन सत्ता के
अंग अंग में ।
और आज जनता भी
अंधी हो गयी है।
उसी रंग ढंग में।
डॉ लाल रत्नाकर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें