रविवार, 17 सितंबर 2023

नौटंकी का मिज़ाज है !

 

वक्त जाते देर नहीं लगती  !
एक वक्त ऐसा भी होता है !
जब वक्त गुजरता नहीं।
और एक वक़्त ऐसा भी होता है,
जब वक़्त कम पड़ जाता है 
कहते हैं वक्त वक्त की बात है।
कहीं धूप्प अंधेरा हैं ?
कहीं आग की बरसात है।
कहीं जलमग्न और कहीं जनमग्न।
हो गया देश का भू भाग है !
तो कहीं धरम का
कहीं अधरम का व्यापर 
और उसी का बाज़ार है। 
यही तो वक्त का मिजाज है।
बिगड़ा हुआ समाज है !
या बिगाड़ा हुआ समाज है !
यह कैसा राजकाज है !
यह किसका राजकाज है !
नौटंकी का मिज़ाज है !

-डॉ.लाल रत्नाकर

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