तुम्हारे राज में
तुम्हारे काज में
लोकतंत्र नहीं दिखता
स्वतंत्रता के विचार
हमेशा से नदारद है!
झूठ और जुमलों का
ही राज तुम्हारा है.
या भ्रष्टाचार बढ़ाने का
कामकाज तुम्हारा है।
जनता को लाभार्थी
कह कहकर सचमुच
भीखमंगा बनाना है।
किसने कहा है तुम्हें
तुम देश की संपत्ति को
औने-पौने अपने मित्रों को
सौंप देना ही विकास तेरा है।
बड़े-बड़े भ्रष्टाचार करके
मित्रों का साम्राज्य खड़ा करना
देश को अपने चंगुल में रखना
तुम्हारे राज की खूबी है।
यह सब अंधो को क्यों
समझ में नहीं आता।
वह कैसे भाग्य विधाता है।
जो तुम्हे जुमले और
अन्धविश्वास में फसाता है।
-डा.लाल रत्नाकर
तुम्हारे काज में
लोकतंत्र नहीं दिखता
स्वतंत्रता के विचार
हमेशा से नदारद है!
झूठ और जुमलों का
ही राज तुम्हारा है.
या भ्रष्टाचार बढ़ाने का
कामकाज तुम्हारा है।
जनता को लाभार्थी
कह कहकर सचमुच
भीखमंगा बनाना है।
किसने कहा है तुम्हें
तुम देश की संपत्ति को
औने-पौने अपने मित्रों को
सौंप देना ही विकास तेरा है।
बड़े-बड़े भ्रष्टाचार करके
मित्रों का साम्राज्य खड़ा करना
देश को अपने चंगुल में रखना
तुम्हारे राज की खूबी है।
यह सब अंधो को क्यों
समझ में नहीं आता।
वह कैसे भाग्य विधाता है।
जो तुम्हे जुमले और
अन्धविश्वास में फसाता है।
-डा.लाल रत्नाकर
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