यह लूट
लूट नहीं है
यह संस्कृति है
यह भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार नहीं है
यह संस्कृति है।
व्यापार की
बाजार की
राजनीतिक
अत्याचार की
यह लूट
लूट नहीं है
यह संस्कृति है
व्यापार की।
यह भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार नहीं है
यह संस्कृति है
व्यापार की।
यह मन की बात
मन की बात नहीं है
यह संस्कृति है
मित्रता की।
सत्ता के शीर्ष पर
बैठकर बैठे रहने की
संस्कृति है।
यह लोकतंत्र
लोकतंत्र नहीं है।
शहंशाह की
की कारस्तानी है।
यह राजधानी
देश की
राजधानी नहीं है
यह अंधी जनता की
राजधानी है।
-डॉ.लाल रत्नाकर
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