मंगलवार, 17 दिसंबर 2024

यह लूट लूट नहीं है यह संस्कृति है

 

यह लूट
लूट नहीं है 
यह संस्कृति है 
यह भ्रष्टाचार 
भ्रष्टाचार नहीं है 
यह संस्कृति है। 
व्यापार की 
बाजार की 
राजनीतिक 
अत्याचार की 
यह लूट 
लूट नहीं है 
यह संस्कृति है 
व्यापार की। 
यह भ्रष्टाचार 
भ्रष्टाचार नहीं है 
यह संस्कृति है 
व्यापार की। 
यह मन की बात 
मन की बात नहीं है 
यह संस्कृति है 
मित्रता की। 
सत्ता के शीर्ष पर 
बैठकर बैठे रहने की 
संस्कृति है। 
यह लोकतंत्र 
लोकतंत्र नहीं है।
शहंशाह की 
की कारस्तानी है।
यह राजधानी 
देश की 
राजधानी नहीं है
यह अंधी जनता की
राजधानी है।


-डॉ.लाल रत्नाकर


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