हम उन्हें याद कर रहे हैं
जो दुनिया को समझते हैं
हम उन्हें भी याद कर रहे हैं
जो दुनिया को नहीं समझते
मगर हम उन्हें याद नहीं कर रहे हैं
जो दुनिया को अपनी तरह से समझते हैं।
हम उन्हें भी याद नहीं कर रहे हैं।
जो हमें कुछ भी नहीं समझते हैं।
हम कुछ भी नहीं हैं।
क्योंकि इन चित्रों के पीछे।
मैंने श्रम किया है विचारों के साथ।
मेरे विचारों को जो नहीं समझते।
मैं उन्हें याद करना चाहता हूं।
इसलिए नहीं कि वह मेरे मित्र हो जाए।
केवल इसलिए की उनकी मुलाकात।
मेरे चित्रों से हो जाए।
पता नहीं वह आएंगे कि नहीं।
जिन्हें मैं याद कर रहा हूं।
मेरा विश्वास है वह भी आएंगे
जिन्हें मैं याद नहीं कर पा रहा हूं।
डॉ लाल रत्नाकर
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