रविवार, 5 जनवरी 2025

देखो उसका अभियान


देखो उसका अभिमान
देखो उसका अभियान,
लूट रहा है कैसे वह
जग का सारा संधान
बताकर उल्टा सीधा
बहला फुसलाकर सबको
सुनाकर झूठा झूठा फरमान
देखो उसका अभियान।

सफल होता जाता है
उसके खंजर को नहीं कोई
जब हाथ लगाता है।
कैसा है शैतान कैसा है फरमान
सत्य अहिंसा को नफरत से
गढ़ता जाता है, भरता जाता है
भय का वह भौकाल।
देखो उसका अभिमान।

समझ में आया,
या ना आया
भय का उसका विधान !
संविधान को धताबात कर,
हर लेता सबका ज्ञान ।
बताकर धर्म-कर्म का आख्यान।
गुना है कभी उसका ज्ञान !
चोर उचक्के गुंडे लफंगे ख़ुश हैं!
इनका हो रहा है सम्मान।

-डॉ लाल रत्नाकर 
 
(2)

यह नया दौर है
नया ठौर है,
नई पीढ़ी का
आरोहण है,
अवरोहण के
उठा लिया हथियार
जैसे रंगा सियार
बनता है होशियार!
जनता खो गई
सो गई खाकर मुफ्त आहार
समझ गया है
भैया वह तो करना अत्याचार।
शिक्षा स्वास्थ्य सब
महंगे हो गए।
दंगों के सब भेंट चढ़ गए।
धर्मो के बीच खिंची तलवार।
अभी जातियां आपस में
बांट रही हिस्सेदारी।
उसने उनका बेंच दिया है
सारा कारोबार !
तब जागेंगे, कहां भागेंगे,
जनता है लाचार।
जान गया है राज।
यह डरा हुआ समाज।


-डॉ लाल रत्नाकर

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