बुधवार, 15 दिसंबर 2010

नाचना आता हो .

डॉ.लाल रत्नाकर
मानवता के लिए 
मानव होने कि जरुरत नहीं होती,
ठग हों अपराधी हों 
दुराचारी हों चरित्रहीन हों 
चलेगा, बस इतना करना 
होगा कि अपने स्वमिनुमा 
बाश के हर इशारे पर 
नाचना आता हो .


आईये दर्शनार्थ आईये 
स्वागत है आपका 
यदि नौकरी के लिए 
आ रहे है तो मोटी रकम 
रख लीजियेगा 
क्योंकि यहाँ बिना 'रकम' के 
कोई काम नहीं होता 
यदि पढ़ने आ रहे है तो
पढ़ने के शिवा आजकल 
यहाँ सब कुछ होता है.


नियमों कि बात करते हो 
नियम यहाँ गढ़े जाते है 
उनके लिए एक ढलाई करने 
की फ़ाउनड़रि  है जिसका इंचार्ज 
एक फ्रोड को फ्रोड करके 
बनाया गया है .
  
  

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