आखिर सवालों के जवाब
जनता नहीं देती जनाब !
जनता केवल वोट देकर
करती आगे पीछे का हिसाब !
अमर हों या मर गए हों
मूल्य, मेहनत, दर्द के जज्बात !
आदमी और आदमी का
इंसान से है नहीं कोई हिसाब !
सोहरत तो वे गढ़ते है
सत्ता की ताकत से बेहिसाब !
आपको मालूम होगा
राज तो इन सबका जनाब !
हम तुम्हें बतला ही देंगे
आज नहीं कल उनका मिजाज !
आईए स्वागत करें अब
दिल खोलकर अपने जज्बात !
परम्परा से जो मिला है
है वही ये राजषी सौगात !
-डा. लाल रत्नाकर
3 टिप्पणियां:
साम्प्रत समय की परिस्थिति पर बेहतरीन पत्रिका
- पंकज त्रिवेदी
साम्प्रत समय की परिस्थिति पर बेहतरीन पत्रिका
- पंकज त्रिवेदी
साम्प्रत समय की परिस्थिति पर बेहतरीन पत्रिका
- पंकज त्रिवेदी
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