बुधवार, 6 अगस्त 2014

अमर हों या मर गए हों....




आखिर सवालों के जवाब
जनता नहीं देती जनाब !


जनता केवल वोट देकर

करती आगे पीछे का हिसाब !


अमर हों या मर गए हों
मूल्य, मेहनत, दर्द के जज्बात !

आदमी और आदमी का
इंसान से है नहीं कोई हिसाब !

सोहरत तो वे गढ़ते है
सत्ता की ताकत से बेहिसाब !

आपको मालूम होगा
राज तो इन सबका जनाब !

हम तुम्हें बतला ही देंगे
आज नहीं कल उनका मिजाज !

आईए स्वागत करें अब
दिल खोलकर अपने जज्बात !

परम्परा से जो मिला है
है वही ये राजषी सौगात !

-डा. लाल रत्नाकर
 

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

साम्प्रत समय की परिस्थिति पर बेहतरीन पत्रिका
- पंकज त्रिवेदी

बेनामी ने कहा…

साम्प्रत समय की परिस्थिति पर बेहतरीन पत्रिका
- पंकज त्रिवेदी

बेनामी ने कहा…

साम्प्रत समय की परिस्थिति पर बेहतरीन पत्रिका
- पंकज त्रिवेदी