शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

कवि की दुर्घटना में मौत

कवि की दुर्घटना में मौत
(डॉ लाल रत्नाकर )

कवि का सफर कविता के लिए
कविता का सफर मंच के लिए

मंच कवियों का हो या सादियों का
सादियाँ अपनों की हों या रिश्तों की

शरीक होना कवि का किसी नियति से
इतना खतरनाक होगा जानकर हादसा

इस हादसे में कवि सुरेश यादव का
गुजर जाना, असमय या लापरवाही से

तेज रफ़्तार की यात्रा के लिए निर्मित मार्ग
आधुनिक यमुना एक्सप्रेस वे पर अनायास 

दहला गया है  तेज़ चलने  के  एहसास को
कईबार आना जाना हुआ है इधर से हमारा

समय समाप्त हो गया तेज़ रफ़्तार के कारण
धीरे धीरे चलने का आदेश, हिदायत के बाद

न जाने किनकी अशुभ आहें इन्हे डस गयीं
समय से पहले या समय के बाद के समय से

अब कभी नहीं मिलेंगे कवि सुरेश यादव
कहीं भी किसी भी मंच पर हमसे कभी भी

मगर जब भी हम गुजरेंगे कभी भी इस राह से
उनकी याद आएगी मेरे गाव की सड़क की तरह

भाई के गुज़र जाने की त्रासद घटना आज भी
गतिहीन कर देती है दुर्घटना के ठाव पर आज भी 

कवि हों भाई हो या अपने में से कोई भी जो ऐसे ही
गुज़र जाते हैं हम जानते हैं उनके मृत्यु स्थल भी

सर झुक जाता है उनके इस हादसे के अकारण
उधर से निकल जाने पर या याद आ जाने पर

मेरा मन विह्वल हो उठा है उनकी स्मृति आ जाने पर
मर जाना उनका मेरा या किसी अपने का भला असमय

(श्रद्धंाजलि)



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