गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

किसी का गुरूर लिख रहा हूं !


मैं जो गीत लिख रहा हूं।
किसी का गुरूर लिख रहा हूं !
सऊर लिख लिख रहा हूं।
संगीत से लिख रहा हूं।
उसकी पीर लिख रहा हूं।
जो है अधीर लिख रहा हूं।
वो है गंम्भीर लिख रहा हूं।
मन का पीर लिख रहा हूं।
असत्य से दूर लिख रहा हूं।
उनका साक्षात्कार लिख रहा हूं
ये जो गीत लिख रहा हूं।
स्ुबह से शाम लिख रहा हूं।
नया आयाम लिख रहा हूं।
सत्ता का काम लिख रहा हूं।
उनके नाम लिख रहा हूं।
जिनके काम लिख रहा हूं।
नहीं है बदनाम लिख रहा हूं।
जो है दलाल लिख रहा हूं।
हैं वो मालामाल लिख रहा हूं।
हैं जो बेमिसाल लिख रहा हूं।
कल का सवाल लिख रहा हूं।
सत्ता का धमाल लिख रहा हूं।
चोरों का कमाल लिख रहा हूं।
समाजवाद का माल लिख रहा हूं।
वास्तविक हाल लिख रहा हूं।
सफेदपोष का हाल लिख रहा हूं।
काले का कमाल लिख रहा हूं।
मैं जो गीत लिख रहा हूं।
किसी का गुरूर लिख रहा हूं !

-डॉ लाल रत्नाकर

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