डॉ.लाल रत्नाकर
***
ओ जश्न मना रहे हैं
या जश्न मनाने की तैयारी में है
उन्हें मुगालते में लाने जा रहे हैं
जिन्हे यह नहीं पता की यह जश्न
उनकी शहादत को भुलाने का जश्न है
जिन्होंने अपने रक्त से सींचकर
इस उस देश समाज और ब्रह्माण्ड को
सत्य न्याय सरोकारों से जोड़ रहे हैं
वे सत्य और असत्य को एकसाथ
बैठाकर दावत कराने के पक्षधर हैं
उन्हें लगता है यही वक़्त है
उन्हें झुठलाकर अपनी भीड़ में
समाहित कर लेने का क्योंकि ?
समय से मुठभेड़ लेने का वक़्त कहाँ है
उन्हें जो जश्न मनाने की जल्दी में हैं
इन नशाख़ोरों को कैसा नशा हो गया है
जिससे वो होशो हवाश खो बैठे हैं
अपने अपने हवश मिटाने में !
******
नेट से साभार |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें