मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

मेरे गीत




मेरे गीत मेरे गान किस काम के 
उनके गीत और गान बेजुबान के
यहां तो खार सदाचार का बयान है
वहां तो फतह किया हुआ इमान है
जद्दोजहद की यहां कोई उम्मीद नहीं
किसी मुकाम की जहां कोई तमीज नहीं ?
कितने साज बजा दो कितने राज बता दो
यहां तो बस एक  ही राग बजता है
जिसमें उसका समाज सजता है ?
यहां हवा को भी तो नहीं है हवा,
यहां पश्चिम में सूरज उगता है ।
                                                     -डॉ लाल रत्नाकर 
     

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