रविवार, 13 मार्च 2016

कैसे बदल दोगे तारीख को !


कैसे बदल दोगे तारीख को !
मेरे दोस्त कुछ कर लो सब कुछ संभव है !
तारीफ़ के दो बोल बदल लो यह तो संभव है ,
कुछ दिन हम तुम बहल लें यह भी संभव है 
साल दो साल भुला लो सब कुछ !
 गहरी खाईं खोद और भर लो सब संभव है !
दिल की चुभन और धड़कन को रोक लेना !
और तो और दिल को करीने से तोड़ देना !
जब सब कुछ वियाबां में छोड़ देना !
और समय से आँख मोड़ लेना संभव है !
मगर वो तारीख कैसे मिटाओगे क्या संभव है !
दिल को कैसे दबाओगे क्या संभव है !
जब हाथ छुड़ाओगे क्या संभव है !
जब मुहँ छुपाओगे क्या संभव है !
धुँवा उठता हुआ देख समझ जाओगे !
हाँ यह सब संभव है !
मगर कैसे बदल दोगे तारीख को ? 
जिस दिन हम सब विदा हो जाएंगे !

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