सोमवार, 28 मार्च 2016

उम्मीद ।

सम्भावनायें अभी मरी नहीं हैं
सम्भवत: वह कभी नहीं मरतीं,
जबकि हम हमेशा यह मानकर
उन्हें नकारते रहते हैं जो हमेशा
सम्भव होती हैं सम्भावनायें ।

मेरे शहर में उम्मीदों के पहाड़ हैं
पर हम उन पहाड़ों पर खडे नहीं होते
न जाने क्यों ?
क्योंकि इन पहाड़ों पर खनन माफ़िया ने
क़ब्ज़ा कर लिया है सम्भवत:!
उसे नहीं पता यह पहाड़ खनिजों का ढेर नहीं
ज्ञान का भंडार है ।

यहॉ बाज़ार में बिकने वाली फ़सल नहीं उगती
यहॉ जिसे ख़रीदा और बेचा जा रहा है,
वह हमारे बीच का लाचार जन प्रतिनिधि है !
नहीं तो यह पहाड़ अपने गौरव के लिये
रहा विख्यात है !

सम्भावनायें अभी मरी नहीं हैं
सम्भवत: वह कभी नहीं मरतीं,
जबकि हम हमेशा यह मानकर
उन्हें नकारते रहते हैं जो हमेशा
सम्भव होती हैं सम्भावनायें ।


सम्भावनायें अभी मरी नहीं हैं
सम्भवत: वह कभी नहीं मरतीं,
जबकि हम हमेशा यह मानकर
उन्हें नकारते रहते हैं जो हमेशा
सम्भव होती हैं सम्भावनायें ।


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