शनिवार, 30 जुलाई 2016

मैं मूर्ख नहीं हूं !

डिजिटल रेखांकन ; डॉ लाल रत्नाकर 

सदियों के मेरे हासिल किये हुये हक को !
वोट से कैसे ले लोगे तुम, मैं मूर्ख नहीं हूं !
तभी तो मैं लग लेती / लेता हूं तुम्हारे चरण !
तुम्हारे तरह थोथे मान के लिये भागता रहूं ।
यह नहीं करता मैं जानता हूं तुम महाबली हो।
पर तुम मुझे परास्त नहीं कर सकते किसी तरह ?
क्योंकि तुम्हारे नेताओं को बिकना है, बाजार हमारे हैं ।
इंतजामकार हमारे हैं, तुम तो खरीददार हो क्योंकि ?
तुम्हारे काम वैसे नहीं है, जैसा कि वक्त का तकादा है।
सदियों के मेरे हराम के हड़पे हक पर नजर मत डालो ?
यही वाजिब सलाह है, सलाह तो और भी है मेरी !
देखौ तुम कितने बेवकूफ हो हमारा है पिछडा पी यम !
तुम्हारे लिये क्या कर रहा है सब  कुछ हमारे लिये कर रहा है !
हम उसके लिये विदेश भ्रमण के प्रोग्राम लगाये हुए हैं ।
उसे भरमाये हुए हैं देश चलाने के लिये संघियों को लगाये हैं।
सदियों के मेरे हासिल किये हुये हक को !
वोट से कैसे ले लोगे तुम, मैं मूर्ख नहीं हूं !
-डा . लाल रत्नाकर

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