बहुत मुश्किल है
इमानदार बने रहना।
राजनेता, सन्त, सरकारें
न्याय, मन्दिर विश्वास के काबिल,
क्या रह गये हैं ।
विवि की जातियता कहॉ ले जायेगी ।
हमारे युवा, युवतियॉ, क्या करेंगे ?
पढाने के नाम पर कौन हैं !
यकीन न हो तो हमें भी दिखाईये?
या देख जाइये।
डा.लाल रत्नाकर
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