सोमवार, 11 जुलाई 2016

इमानदार

बहुत मुश्किल है
इमानदार बने रहना।

राजनेता, सन्त, सरकारें
न्याय, मन्दिर विश्वास के काबिल,
क्या रह गये हैं ।

विवि की जातियता कहॉ ले जायेगी ।
हमारे युवा, युवतियॉ, क्या करेंगे ?
पढाने के नाम पर कौन हैं !

यकीन न हो तो हमें भी दिखाईये?
या देख जाइये।

डा.लाल रत्नाकर

कोई टिप्पणी नहीं: