सोमवार, 15 अगस्त 2016

मैं तुम और वो !


मैं तुम और वो !
कितने चालबाज हैं !
पर वह सबसे ज्यादा !
कैसे ?
मैं सोचता रहता हूँ ,
कोई गड़बड़ न हो जाय ?
और गड़बड़ करके
आगे निकलता नजर आता है !
कहते हैं न ज्यादा तेज चलोगे,
तो मंजिल से पहले ही थक जाओगे !
थकना साश्वत है !
ज्ञान स्थिर है पर गतिशील !
तुम इस बात पर गौर करना !
वो जो भी है !
उसकी अपनी कलाबाज़ी है ?
मैं तुम और वो !
कितने चालबाज हैं !
पर वह सबसे ज्यादा !

डॉ लाल रत्नाकर 

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