शनिवार, 2 जुलाई 2016

अपने गीत








मेरी हिम्मत नहीं होती की अपने गीत लिखू
उनकी हिम्मत की दाद देनी होगी जो गीत लिख रहे हैं
क्यों लिख रहे हैं ये वो गीत जो आपको सपने दिखते हैं
यदि ये सपने वाले गीत आपको अच्छे लगते हैं तो !
अच्छे दिन के सपने देखने में क्या बुराई है !
ये सपने वाले गीत वास्तविक भी हो सकते हैं
जैसे अच्छे दिन उनके लिए उतने ही अच्छे हैं !
जो गरीबों के खिलाफ रहे हैं पूंजीपतियों के मित्र !
जो झूठ बोलते हैं की वो फलां है फला हैं !
यहाँ तक की वो इस्लाम को भी गले लगाने को तैयार हैं !
इस शर्त के साथ की वे चुपचाप इस देश में रहे !
वे जो जुर्म करें उसे वे सहें समय समय पर दंगों का दंश !
वे उन्हें भी मिला रहे हैं जो अलग अलग राज्यों में
लूट खसोट करें पर उनकी योजनाओं में आड़े न आएं !
आरक्षण की जगह संरक्षण को लागू होने दें !
कविता तो लिखे मगर उसमें सपने हों, सच्चाई नहीं !
ऐसी कविता कैसे लिखूं समझ नहीं आ रहा है !
आप प्रबुद्ध हैं आप कविता को कविता की तरह पढ़ें !
सपने देखें, जो हो सके करें, क्योंकि अच्छे दिन  !
कविता को कहाँ सुनाने देंगे ये अच्छे दिन !
मेरी हिम्मत नहीं होती की अपने गीत लिखू
उनकी हिम्मत की दाद देनी होगी जो गीत लिख रहे हैं !
-डॉ.लाल रत्नाकर 



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