यह बदलता वक्त है और इम्तिहान लेते लोग हैं !
फस गए हैं साथ उनके जो इस तरफ के लोग हैं !
हम आजादी की लडाई लड़ रहे किसके लिए हैं!
जान जोखिम में डालकर वहां खड़े वो लोग हैं !
स्वार्थ में अंधे हुए है उन जातियों के ये लोग हैं !
बहुजन नहीं अब सर्वजन की बात करते लोग हैं!
अब लड़ो उनसे जरा दुश्मन से मिले जो लोग हैं !
आओ बैठ जाएँ यहाँ देखें ये किसके कौन लोग हैं !
बदस्तूर चलने दो उन्हें जो अपनों से दूर हैं !
लौटकर आएंगे वो हिम्मत धरो ऐसे ही वे लोग हैं !
यही तो यहां के बदलते वक्त का दस्तूर है।
-डा.लाल रत्नाकर
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