सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

यह कैसी खामोशी है !









यह कैसी खामोशी है !
क्या हुआ तुम्हारी नफरत का !
या तिकड़म की बेहोशी है !
अपने अपने उनके अपने !
सबके अपने कितने सपने !
या सपने की मदहोशी है !

यह कैसी खामोशी है !
सीनाजोरी की खामोशी है !
या जमाखोरी की सफेदपोशी है !
कर्तव्यपरायणता या हरामखोरी !
शातिरपन की या ये चोरी है !
ये कैसी सीनाजोरी है !
पढ़ लिखकर आदमखोरी है !
यह कैसी खामोशी है !

मन प्रतिनिधित्व की गर्मजोशी है !
जन प्रतिनीधित्व की या
जर्जर हुए विश्वास आस की
अन्तहीन मन के लिप्सा की
सदियों के एहसास आदि की !
बहुत हुये विश्वासघात की
यह वैसी ही खामोशी है !

डा.लाल रत्नाकर

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