बुधवार, 1 मार्च 2017

'युवा' संविधान !

युवा' संविधान !
-----------
(जब अराजकता इस कदर फैल जाए कुछ भी नियंत्ररण में ना हो।
हर तरफ से संविधान पर हमला हो रहा है तो आप क्या कहेंगे ?)
----------
अब यह देश खतरनाक मोड़ पर खड़ा है!
यहाँ का नेतृत्व एक ऐसे हाथ में आ गया है!
जो केवल बात ही बात करता है!
बल्कि उसके पीछे एक पूरी जमात है जो,
उससे इसी तरह की हरकत कराती रहती है !
क्योंकि इस बातूनी को नहीं पता की जो तुम्हें गप्पी की तरह!
इस्तेमाल कर रहे हैं उनकी पोल खुल चुकी है ?
और अवाम उनके खिलाफ हो गयी है ?
हां यह वही हैं जो तुम्हारे विरोध में खड़े हैं?
ये तो इस गप्पी को पकड़कर लाये हैं जो कह रहा है ?
हम दलित हैं, पिछड़ा भी और मुस्लिम भी।
और यह कह रहा है की सब हिन्दू हैं।
क्योंकि जो हिंदुस्तान में रह रहे हैं ?
और यह भी कह रहा है सूरज चाँद सब हमने बनाये हैं।
क्योंकि आज़ादी के बाद हम किसी तरह से आये हैं ?
यह बताने की अब तक देश में कुछ नहीं हुआ था ?
हमें बहुत कुछ करना है तभी तो?
अब हम आये हैं भ्रष्टाचार करके भ्रष्टाचार मिटाने
ये कैसे लोग हैं जो सदियों से केवल भ्रष्टाचार कर रहे थे ?
हम इस भ्रष्टाचार को शिष्टाचार में बदल देंगे ?
भले ही हमें इसके लिए संविधान बदलना पड़े ?
क्योंकि हमारी नज़र में संविधान बूढा हो गया है
हम कोशिस कर रहे हैं 'युवा' संविधान लाएं ?
जिससे आधी आवादी को तुरंत ठीक कर पाएं ?
क्योंकि हमारे ऋषिमुनियों ने यही किया था !
और आधी आवादी को उठने ही नहीं दिया था !
क्या दीखता नहीं उसका जंगली शेर घूम रहा है ?
क्योंकि उसे सीखंचों से मुक्त कर दिया गया है ?
उसके शावक भी खुल्ला हमलावर हो गये हैं।
शहीदों की संतानें उनके चरागाह हो गये हैं।
हम कैसे देश में रह रहे हैं।
अब यह देश एक खतरनाक मोड़ पर खड़ा है!
जहाँ का नेतृत्व एक ऐसे हाथ में पड़ा है !


कोई टिप्पणी नहीं: