डॉ.लाल रत्नाकर
यह कैसी कतार है !
जो यहाँ बैठे हैं वे हैं क्या !
ये मनचले किसे पहचानते हैं ?
किसी की बीबी,बहन,बहू या बेटी को !
या अपनी बीबी, बहन या बेटी को !
वे मंत्री हों या अफसर
उनसे कौन सुरक्षित है ?
क्या यह चरित्र निर्माण है ?
हमारे राष्ट्रीय चरित्र का !
जहाँ जातियां देखकर ?
जिसे वे गढ़ रहे हैं नए हिंदुस्तान में ?
स्मृति ईरानी हो या मनुस्मृति !
इन्होंने क्या अपना चरित्र खो दिया है !
जिस तरह की राजनीती आ गयी है !
उसमें हमें एक नया स्वरुप दिख रहा है !
उस नए इंसान का !
सफेदपोश बेईमान का !
जहाँ आम आदमी खो रहा है ?
और खास आदमी नज़र आ रहा है !
जाती और पहचान का !
जनता के वोट नहीं मशीनें ?
अब सरकारें बना रही हैं !
इसीलिए आदमी नहीं
जातियां नज़र आ रही हैं
यह देश सेवक नहीं प्रधान सेवक
और मुख्य सेवक बोल रहा है
हम आ रहे हैं !
यह कैसी कतार है !
जो यहाँ बैठे हैं वे हैं क्या !
ये मनचले किसे पहचानते हैं ?
किसी की बीबी,बहन,बहू या बेटी को !
या अपनी बीबी, बहन या बेटी को !
वे मंत्री हों या अफसर
उनसे कौन सुरक्षित है ?
क्या यह चरित्र निर्माण है ?
हमारे राष्ट्रीय चरित्र का !
जहाँ जातियां देखकर ?
जिसे वे गढ़ रहे हैं नए हिंदुस्तान में ?
स्मृति ईरानी हो या मनुस्मृति !
इन्होंने क्या अपना चरित्र खो दिया है !
जिस तरह की राजनीती आ गयी है !
उसमें हमें एक नया स्वरुप दिख रहा है !
उस नए इंसान का !
सफेदपोश बेईमान का !
जहाँ आम आदमी खो रहा है ?
और खास आदमी नज़र आ रहा है !
जाती और पहचान का !
जनता के वोट नहीं मशीनें ?
अब सरकारें बना रही हैं !
इसीलिए आदमी नहीं
जातियां नज़र आ रही हैं
यह देश सेवक नहीं प्रधान सेवक
और मुख्य सेवक बोल रहा है
हम आ रहे हैं !
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