मंगलवार, 29 अगस्त 2017

दुर्भाग्य !


दुर्भाग्य !
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वो मेरे देश के दुर्भाग्य !
साधु संतों और बाबाओं!
ये माना कि हमारे ऋषि मुनियो
की कुदृष्टि स्त्रियों पर रही होगी
यह भी समझ में आता है कि
आज के प्रभावशाली नेता
इस दुष्कर्म से सने हुए हैं
लेकिन क्या यह उचित नहीं है
कि हम मानवता के विकास को
स्त्री यातना से मुक्त कर सकें।
संतो, बाबाओं तुम तो नहीं सुधरोगे
क्योंकि तुमने अपराध के उपरांत
यह रूप धरा है जिससे तुम्हारा
काला इतिहास छुपा रहे।
पर तुम उन पवित्र आत्माओं को
अपवित्र करने का षड्यंत्र कर रहे हो।
उसकी सजा संविधान में तो मौत ही है।
अब तो मौत से क्यों डर रहे हो।
मरने से पहले अपने भक्तों को
मरने के लिए आगे कर रहे हो!
धन्य हो संतो तुम धन्य हो।
और तुम्हें मदद करने वाले।
मानने वाले और धन्य है।
जो जुबान से तो अच्छी बातें कहते हैं।
लोग उनकी मोह माया में फस जाते हैं।
संतो कबीर बनकर देखो ना।
उनके बारे में तुमने ही तो फैला रखा है।
कि वह नाजायज रूप से पैदा हुए।
किसी विधवा ब्राह्मणी की औलाद हैं।
क्या सचमुच तुम्हारी मां इतनी बुरी रही होगी।
जिसकी औलादें तमाम माओं के।
चरित्र को कलंकित करने में।
अपना सम्मान समझ रहे हैं।
तुम्हें मारा जाना चाहिए।
क्योंकि तुम आसानी से मर नहीं सकते।
और यह भी उतना ही सच है
कि तुम्हें कानून से डर नहीं लगता ।
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-डा.लाल रत्नाकर

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