गुरुवार, 29 मार्च 2018

नहीं तुम धार्मिक नहीं हो ?

हम तुम्हें सलाम नहीं कर सकते।
तुम्हें प्रणाम भी नहीं कर सकते हम।
इसलिए नहीं की तुम इंसान नहीं हो।
इसलिए कि तुम मुसलमान नहीं हो ।
क्योंकि तुम क्रिश्चियन भी नहीं हो।
और तुम जो नहीं हो वह होने का।
नाटक कर रहे हो।तुम किसे हिंदू बना रहे हो।
जिसे तुम हिंदू ही नहीं मानते हो।
क्या है हिंदू जानते हो ?
क्या उन्हें तुम जानते हो ?
जो जैन हो गए हैं।
तो उन्हें भी जानते होंगे ?
जो सिख हो गए हैं।
या जो बौद्ध हो गए हैं।
क्यों तुम उन्हें हिंदू नहीं बनाए रख सके।
अब किसे हिंदू बना रहे हो।
उन्हें जो लिंगायत धर्म बना रहे हैं।
हम सोच रहे हैं।
हम भी अपना एक धर्म बना लें।
मगर कैसा धर्म ?
जिसका मतलब वह तो नहीं ?
जिसे तुम धर्म के नाम पर कर रहे हो।
किसी को गाय के नाम पर !
किसी को जाति के नाम पर !
कम से कम हम ऐसे किसी धर्म को।
धारण कर धार्मिक होने की स्थिति में नहीं है।
भगत सिंह नास्तिक क्यों हो गए थे।
शायद तब भी इसी तरह का धर्म।
कथित धर्माचार्यों के चलते !
कहीं प्रभावी तो नहीं हो रहा था।
और !
वह व्यक्ति जो नास्तिक था ।
देश के लिए शहीद हो गया।
क्या तुममें देश के लिए कुर्बानी का।
कोई जुनून है।
नहीं तुम धार्मिक नहीं हो ?
महाभ्रष्ट और जातिवादी हो ?
दुराचारी और व्यापारी हो ?
-डॉ.लाल रत्नाकर

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