सोमवार, 28 मई 2018

मुझे अपमानिता के साथ खड़ा रहना है !


हमारे यहाँ तुम्हारी कोई जगह नहीं है "राधिके" !
तुमने नारी होने के सारे मानदंड ध्वस्त कर दिए हैं !
हम उसके साथ खड़े नहीं हो सकते !
जो तुम्हारे सम्मान में रुक्मिणी का अपमान किया हो !
यह तुम्हारा सम्मान केवल तुम्हारे लिए है ?
जबकि उसका अपमान समस्त नारी जाती के लिए है !
इसलिए हम नारी के रूप में उसे पीड़ित पाते हैं !
और उसकी ओर खड़े हैं ?
उसके बहुतेरे तर्क हमें प्रभावित नहीं करते ?
सम्मानित और अपमानित कितने करीब खड़े हैं !
मुझे अपमानिता के साथ खड़ा रहना है !
सम्मान वैसे तो अपमान के जहर से निकला है। 
तभी तो मैं सम्मान से डरता हूँ !
हम उसके साथ खड़े नहीं हो सकते !
हमारे यहाँ तुम्हारी कोई जगह नहीं है "राधिके" !

-डॉ.लाल रत्नाकर 

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