बुधवार, 6 जून 2018

तय करो किस ओर हो तुम !

युद्ध की अंतिम घडी है 
तय करो किस ओर हो तुम !
हो वहां जहाँ विनाश का साम्राज्य है 
या विध्वंशक के साथ हो !

तुम अभी सोये हुए हो 
या खड़े हो नींद से तुम जागकर 
है तुम्हारी भूख शायद जो अभी पूरी नहीं 
या की तुम हो किसी प्रतिघात में !

हारते ही हारते तुम जा रहे हो !
या तुम्हारा क्रोद्ध उतरा ही नहीं है 
जातियों के संगठित प्रतिघात से 
या समय की साख पर लटके हुए हो !

युद्ध किससे लड़ रहे हो 
या अभी लड़ते हुए तुम सो रहे हो 
आत्मा-परमात्मा के द्वन्द में 
या खड़े हो पाखंडियों के मध्य में !

युद्ध की अंतिम घडी है 
तय करो किस वोर हो तुम !
हो वहां जहाँ विनाश का साम्राज्य है 
या विध्वंशक के साथ हो !

-डॉ लाल रत्नाकर 





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