सोमवार, 2 जुलाई 2018

उसका असत्य उसे मार डालेगा !

चित्र ; श्रीमती रुक्मिणी यादव 
आदमी के रूप में खुंखार निशाचर !
रौंदता जा रहा है मानवता के निशाँन !
उनको बहुत अच्छा लग रहा है वह !
जिसे भगवान मान बैठे हैं "भक्त" !

शैतान और इसमें फर्क तो है !
पर इतना जिसे केवल मशीन से ही !
पकड़ा जा सकता है जैसे  विज्ञान से !
पाखण्डी भक्तों और भगवान को !

हम तो समझ रहे हैं पर हमारे लोग !
भक्तिभाव में लीन हैं तल्लीन हैं !
डरे हुए हैं ऐसे अदृश्य संशय से !
जिसे पाखंडियों ने गढा है अपने लिए !

जो दहाड़ रहा है वास्तव में वह !
वह नहीं है जो उसने समझ रखा है !
चिल्ला रहा है क्योंकि वह जानता है !
उसका असत्य उसे मार डालेगा !

डॉ.लाल रत्नाकर 

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