बुधवार, 11 जुलाई 2018

जो अब बटबृक्ष बन रहा है।

रेखांकन : डॉ.लाल रत्नाकर  

आपको याद तो होगा !
अखलाक का मारा जाना !
तब के शहंशाह का डर ?
इन आतताइयों के लिए !

हिम्मत और साहस का अंकुरण था।

जो अब बटबृक्ष बन रहा है।

फिर कोई अखलाख ढूढ लिया जाएगा !
किसी न किसी को शहीद बनाया जाएगा !
राज करना है तो किसी को भी जलाया जाएगा !
हिन्दू हिन्दू करके बहुजन पगलाया है !

उसी ने तो आज तक यह धर्म बचाया है !

इसी धर्म ने पी लिया है उसकी रगों का खून!

संविधान से कर रखा है उसको कोसो दूर!
धर्म के नाम पर धोखा देकर !
लुट रहा उसका अभिमान !
अपमान का ज़हर पी रहा अज्ञानता में मूढ़ !
बना रखा है उसने साम्राज्य को इतना गूढ़ !
अगर जाग जाए बचा लेगा बहुतेरे अख़लाक़ !
यही होगा धर्म का असली रूप !
और बंद हो जाएगा पाखंडियों का कूप !


- डा.लाल रत्नाकर

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