सोमवार, 13 अगस्त 2018

बहुत हो चुका !

रेखांकन : डॉ.लाल रत्नाकर  

बहुत हो चुका है !
बहाना बनाना !

हमें ठग रहे हो !...

हमीको फंसा के !
बहुत हो चुका है !
तुम्हारा निशाना !
हमीं को जलाना !
हमें भी सहलाना !
मरहम की जगह !
हमपर मिर्ची लगाना !
बहुत हो गया तेरा !
अब मेरा मुल्क बचाना !
अधर्मी से धर्म बचता कहाँ है !
समझने लगा है अब !
सारा ज़माना !
कहीं गाय को और !
कहीं इन्शान को जलाना !
बहुत हो गया अब !
बेवकूफ बनाना !

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