रेखांकन : डॉ.लाल रत्नाकर |
बहुत हो चुका है !
बहाना बनाना !
हमें ठग रहे हो !...
हमीको फंसा के !
बहुत हो चुका है !
तुम्हारा निशाना !
हमीं को जलाना !
हमें भी सहलाना !
मरहम की जगह !
हमपर मिर्ची लगाना !
बहुत हो गया तेरा !
अब मेरा मुल्क बचाना !
अधर्मी से धर्म बचता कहाँ है !
समझने लगा है अब !
सारा ज़माना !
कहीं गाय को और !
कहीं इन्शान को जलाना !
बहुत हो गया अब !
बेवकूफ बनाना !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें